रानीगंज: मारवाड़ी युवा मंच द्वारा चार दिवसीय दिव्यांग अंग प्रत्यारोपण शिविर का आयोजन
रानीगंज में मारवाड़ी युवा मंच के द्वारा सत्यम स्मेल्टर्स और श्री महावीर विकलांग सहायता समिति के सहयोग से कन्हैयालाल सराफ स्मृति भवन में चार दिवसीय दिव्यांग अंग प्रत्यारोपण शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन आसनसोल नगर निगम के डिप्टी मेयर अभिजीत घटक और रतन लाल मिश्रा ने दीप प्रज्वलित कर किया। उद्घाटन के दौरान श्री रतनलाल इस शिविर को दिव्यांगों को नया जीवन देने का सराहनीय प्रयास बताया। दूसरी और उन्होंने कहा कि धन का सदुपयोग जरूरी है।
वहीं रानीगंज पुलिस के आईसी विकास दत्ता ने मंच के सदस्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह शिविर दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों से आए दिव्यांगों के लिए वरदान साबित हुआ है। शिविर में सैकड़ों लोगों को निःशुल्क कृत्रिम अंग, कान की मशीन और बैसाखियां प्रदान की गईं।
राष्ट्रीय स्तर पर पहचान का सपना
वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर मारवाड़ी युवा मंच 55वें स्थान पर है। विकास दत्ता ने विश्वास जताया कि रानीगंज शाखा जल्द ही शीर्ष 10 में अपनी जगह बनाएगी।
पिछले शिविरों की सफलता को दोहराया गया
पश्चिम बंगाल प्रांतीय उपाध्यक्ष पंकज राठी ने शिविर की सफलता पर मंच के सदस्यों को बधाई दी। मंच के सलाहकार राजेश जिंदल ने बताया कि इससे पहले दो साल पहले ऐसा ही शिविर आयोजित किया गया था, जिसमें सैकड़ों लोगों को कृत्रिम अंग प्रदान किए गए थे। इस बार उन्हें बेहतर गुणवत्ता वाले कृत्रिम अंग दिए जा रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचा अभियान
कार्यक्रम के संयोजक श्याम जलन ने बताया कि पिछले एक महीने से संस्था के सदस्य विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर प्रचार-प्रसार कर रहे थे। उनकी मेहनत रंग लाई और शिविर में बड़ी संख्या में लोग आए। शिविर के दौरान 150 लोगों को कान की मशीनें दी गईं और 22 दिसंबर को कृत्रिम अंग प्रदान करने के लिए 150 लोगों का पंजीकरण किया गया।
गणमान्य लोगों की उपस्थिति और सम्मान समारोह
इस अवसर पर समाज सेवा में योगदान देने वाले कई लोगों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में संस्था के अध्यक्ष प्रतीक मोर, श्याम जलन, विनीत खंडेलवाल, नीरज अग्रवाल, सुमित क्याल, आयुष झुनझुनवाला, अमित बजाज, और महिला विंग ‘देवी शक्ति’ की प्रमुख स्वीटी लोहिया और दीप्ति शराफ समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
मानव सेवा का संदेश
इस आयोजन ने समाज सेवा का एक उदाहरण प्रस्तुत किया और दिव्यांगों के चेहरों पर खुशी की झलक ने आयोजकों को और प्रेरित किया। शिविर की सफलता ने यह संदेश दिया कि समाज सेवा से बड़ा कोई कार्य नहीं हो सकता।