रानीगंज। जिला परिषद द्वारा लगभग 21 साल पहले बनाए गए वाणिज्यि भवन की दुर्दशा अब चर्चा का विषय बन गई है। रानीगंज बस स्टैंड के सामने स्थित इस भवन का एक बड़ा हिस्सा अब भी चालू नहीं हुआ है। ज्यादातर दुकानें आवंटित नहीं की गई हैं, और शाम होते ही इमारत के अधिकांश हिस्से अंधेरे में डूब जाते हैं। शौचालय होने के बावजूद पानी की कमी के कारण उनका उपयोग संभव नहीं है। इस कारण विक्रेता और खरीदारों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।भवन में पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। शौचालय उपयोग में नहीं है और अंधेरा होने पर परिसर असुरक्षित हो जाता है।चार मंजिला भवन में 116 दुकानों का निर्माण हुआ था, लेकिन इनमें से केवल 20 दुकानें आवंटित की गईं। अन्य मंजिलें और दुकानें बंद पड़ी हैं ।पानी बाहर से लाना पड़ता है, और प्रत्येक व्यापारी को अलग-अलग बिजली कनेक्शन लेना पड़ा। बड़े प्रांगण में प्रकाश व्यवस्था का अभाव है।जिन दुकानों का आवंटन किया गया है, उनका अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ। इससे व्यापारी बैंक या अन्य वित्तीय संस्थानों से ऋण नहीं ले पा रहे है।नाइट गार्ड की अनुपस्थिति और अंधेरे के कारण इमारत में असामाजिक गतिविधियां बढ़ गई हैं।
रानीगंज व्यापारी चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष रोहित खेतान ने राज्य सरकार से इस भवन के बुनियादी ढांचे में सुधार करने और फ्री हॉल एवं दुकानें सही कीमत पर आवंटित करने की मांग की है। उनका कहना है कि इस भवन के पुनर्जीवित होने पर शहर के व्यापार को बड़ा लाभ हो सकता है।
पश्चिम बर्दवान जिला परिषद के सभापति विश्वनाथ बाउरी ने कहा कि 2017 में जिले के विभाजन के बाद संबंधित दस्तावेज मिलने में देरी हुई। हालांकि, हाल ही में हुई एक बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि भवन के बुनियादी ढांचे को सुधारने और दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया तेज की जाएगी। जल और बिजली की समस्याएं दूर की जाएं। शौचालय और प्रकाश व्यवस्था को सुधारें।खाली पड़ी दुकानों को छोटे व्यापारियों और स्थानीय संस्थानों को आवंटित किया जाए।आवंटित दुकानों का जल्द से जल्द रजिस्ट्रेशन किया जाए ताकि व्यापारी वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकें।भवन में नाइट गार्ड तैनात किए जाएं और असामाजिक गतिविधियों पर रोक लगाई जाए।
इस भवन का सही उपयोग रानीगंज की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे सकता है। प्रशासन के ठोस कदम ही इस समस्या का स्थायी समाधान प्रदान कर सकते हैं।