खेल मदारी मनोरंजन करने वाले रोजी-रोटी के लिए मोहताज
भारत में पारंपरिक रूप से मदारी बंदरों और भालुओं के साथ खेल दिखाकर अपनी आजीविका कमाते थे।हालांकि, पशु क्रूरता के खिलाफ सख्त कानूनों और जागरूकता बढ़ने के कारण, इन पारंपरिक प्रदर्शनों में कमी आई है। लेकिन इस पैसे से जुड़े लोगों के सामने आज भी रोजी-रोटी की समस्या बरकरार है रानीगंज रेलवे स्टेशन पर मुन्ना मदारी अपने बंदर को लेकर लोगों का मनोरंजन कर रहे थे लेकिन उनका कहना है कि अब लोग इस मदारी के खेल को मनोरंजन के रूप में पसंद नहीं करते हैं पर मोहल्ले में थोड़ा बहुत जो मिलता है उसी से जीविका चलाते हैं। मुन्ना ने बताया कि हमारे परिवार के लोग इस प्रकार के पैसा से ही जुड़े हुए हैं हम लोग वास्तव में बरेली इलाके के लोग हैं हमारे पूरे परिवार का भरण पोषण इसी तरह के खेल मदारी दिखाकर चलाया करते थे आज परिवार के लोग अन्य कारोबार में जुटे हैं लेकिन हमारे पूर्वजों ने इसी प्रकार के खेल मदारी दिखाकर जीवन ज्ञापन करते थे हमारे परिवार में कई तरह के जानवर हुआ करता था और हम लोग उसे ट्रेनिंग देते थे और लोगों का मनोरंजन करते थे
सूत्रों से पशु अधिकार संगठनों और सरकार ने इन परिवारों की सहायता के लिए योजनाएं शुरू की , ताकि वे वैकल्पिक रोजगार अपना सकें।फिर भी, कई मदारी आज भी आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं।