रानीगंज-बांकुड़ा के बीच सीधे रेलमार्ग की मांग
रानीगंज।रानीगंज से बांकुड़ा तक सीधा रेलमार्ग शुरू करने की मांग लंबे समय से क्षेत्र के लोग कर रहे हैं। वर्तमान में रानीगंज से बांकुड़ा तक सड़क मार्ग की दूरी लगभग 52 किलोमीटर है। लेकिन रेलमार्ग से बांकुड़ा पहुंचने के लिए आसनसोल होकर जाना पड़ता है, जिससे यह दूरी बढ़कर 94 किलोमीटर हो जाती है। इस समस्या को हल करने के लिए स्थानीय लोग सीधे रेलमार्ग की मांग कर रहे हैं।
शाम के बाद बस सेवा बंद हो जाती है, जिससे यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर छात्रों और मरीजों के लिए यह समस्या गंभीर हो जाती है।दोनों जिलों के व्यापारियों के लिए सुगम और सस्ता परिवहन नहीं होने से कारोबार प्रभावित होता है।रानीगंज, अंडाल, कमजोर ,जामुड़िया और पांडवेश्वर के साथ यह पूरा कोईलांचल जैसे क्षेत्रों के लोग इलाज के लिए बांकुड़ा मेडिकल कॉलेज जाते हैं। सड़क मार्ग पर परिवहन की कमी के कारण मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में कठिनाई होती है।
रानीगंज से होकर दामोदर नदी पर मिजिया पुल के माध्यम से बांकुड़ा तक रेललाइन का विस्तार किया जा सकता है। वर्तमान में डीवीसी के मिजिया थर्मल पावर स्टेशन तक रेललाइन उपलब्ध है।मात्र 30 किलोमीटर यहां से बांकुड़ा है ।इसका विस्तार करने से सीधा संपर्क संभव होगा। सूत्रों से तत्कालीन रेल मंत्री एवं वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रेलमंत्री रहते इस रेलमार्ग को बनाने की योजना बनी थी। लेकिन उनके पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनने के बाद यह काम ठप हो गया।आसनसोल के चेयरमैन अमरनाथ चैटर्जी स्थानीय संगठनों में रानीगंज चैंबर ऑफ़ कॉमर्स ने इस मुद्दे को रेल मंत्रालय के समक्ष उठाने की बात कही है। रानीगंज चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष रोहित खेतान ने कहा कि यह मांग हमारी काफी दिनों से है।यह रेलमार्ग न केवल यात्रा को सुगम बनाएगा, बल्कि दोनों जिलों के आर्थिक और सामाजिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। पूर्व विधायक एवंबीजेपी के नेता जितेंद्र तिवारी ने कहा कि रेल मंत्रालय को इस मांग के लिए पत्र पत्र भी दिया था।
ईस्टर्न रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि संभाव्यता अध्ययन (फिजिबिलिटी स्टडी) के बाद ही निर्णय लिया जाएगा। हालांकि, क्षेत्र के लोग और विभिन्न संगठनों ने इस रेललाइन की मांग को लेकर बार-बार आवेदन दिए हैं।